भजन बिना कैसे गवां दई ज़िंदगानी

  • bhajan bina kaise gawa dayi zindgani

भजन बिना कैसे गवा दई ज़िंदगानी,
किया न कर से करना था जो,
करता रहा मनमानी,
भजन बिना कैसे…..

गर्भवास में जब तू आया,
प्रभु से क्या क्या अर्ज़ सुनाया,
हाथ जोड़कर कसमे खाई,
अब न करब शैतानी,
भजन बिना कैसे…..

सुनी प्रभु ने तोरी आरजिया,
भूल गया मालिक की खबरिया,
पाप की सर पर लादे गठरी,
फिरता रहा अभिमानी,
भजन बिना कैसे…..

परहित कर कुछ पूण्य कमाले,
मानुष तन का लाभ उठाले,
रिखीराम प्रभु के गुण गाले,
बीती जाए जवानी,
भजन बिना कैसे…..

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