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गंगा धारा में अमृत की है ताजगी

  • Ganga Dhara Mein Amrit Ki Hai Tajagi

जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग ।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥

हर हर हर गंगे, जय जय गंगे माँ,
हर हर गंगे, जय माँ गंगे, हर हर गंगे माँ-०२

गंगा धारा में अमृत की है ताजगी-०२
माता गंगे धरा पे तू स्वर्ग की नदी,
मैया गंगे धरा पे तू स्वर्ग की नदी,
गंगा धारा में अमृत की है ताजगी-०२

शिव की जटा से निकल कर तू आये,
सब प्राणी जीवों को जीवन दे जाये,

माँ…
शिव की जटा से निकल कर तू आये,
सब प्राणी जीवों को जीवन दे जाये,
कोई ना भेद करती किसी में कभी-०२
मैया गंगे धरा पे तू स्वर्ग की नदी।

सरस्वती यमुना का तुझमें मिलाप है,
पापियों के पाप को करे पाक साफ़ है,

माँ…
सरस्वती यमुना का तुझमें मिलाप है,
पापियों के पाप को करे पाक साफ़ है,
युहीं न बोले तुझको पतित पावनी-०२
गंगा धारा में अमृत की है ताजगी।
हर हर गंगे, जय माँ गंगे, हर हर गंगे माँ-०२

इसे भी देखें: ॐ जय गंगे माता आरती

गंगा की जल में जो करता स्नान है,
भव तारे दर्शन सब तीरथ समान है,

हो ओ…
गंगा की जल में जो करता स्नान है,
भव तारे दर्शन सब तीरथ समान है,
प्रेम खुशबू तिवारी करे आरती-०२
गंगा धारा में अमृत की है ताजगी-०२
माता गंगे धरा पे तू स्वर्ग की नदी,
गंगा धारा में अमृत की है ताजगी
युहीं न बोले तुझको पतित पावनी,
कोई ना भेद करते किसी में कभी,
प्रेम खुशबू तिवारी करे आरती।


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