कांच ही बॉस हम मँगाइव जेकर बहंगी बनाइव।
बहंगी के फूल से सजाइव उसमें सुपवा सजाय,
सुपवा में पकवान सजाय साथ में कचमनीयां सजाय।
काँधे पर लिहलन प्रिंस बाबु बहंगी गंगा घाट पहुंचाय ।
उनखर मम्मी करतन घठ व्रतीया मन में कइलन बड़ी आस।
आस पूरा करीह सुरुज बाबा जिनखर महिमा अपार।