कोयलिया बोली रे बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहीं रे
कोयलिया बोली रे,
अम्बुआ की डाल अपनो कोई नहींआ रे,
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ रे,
बाग लगाए बगीचा लगाए ,
और लगाए केला रे बालम और लगाए केला।,
जिस दिन राम प्राण निकल गयो रह गयो चांम अकेला,
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ,
कोयलिया बोली रे
अम्बुआ की डाल अपनो कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ रे,
तेंद नाहलो तिरिया रोबे ,
छमही नाहलो भाई रे बालम छमही नाहलो भाई,
जन्म-जन्म ओ माता रोबे, कर गयो आज पराई,
अपना कोई नहींआ रे,
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ,
कोयलिया बोली रे
अम्बुआ की डाल अपनो कोई नहींआ रे,
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ रे,
आज पचास बाराती आ गये, ले चल ले चल होई रे बालम
ले चल ले चल होई,
कहत कबीर सुनो भाई साधो जा गत सबकी होई
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ,
कोयलिया बोली रे
अम्बुआ की डाल अपनो कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ रे,
बाग लगाए बगीचा लगाए
और लगाए केला रे बालम और लगाए केला।
जिस दिन राम प्राण निकल गयो रह गयो चांम अकेला।
अपना कोई नहींआ रे
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ।
कोयलिया बोली रे
अम्बुआ की डाल अपनो कोई नहींआ रे ,
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ रे,
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ रे,
बिना राम रघुनंदन अपना कोई नहींआ रे,
