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राम कथा सब विधि सुखदाई

  • Ram Katha Sab Vidhi Sukhdai

राम कथा सब विधि सुखदाई,
राम कथा सब विधि सुखदाई,
राम कथा की निर्मल गंगा ।
शीतल गंगा उज्जवल गंगा,
अविरल बहती आयी ।।

राम कथा सब विधि सुखदाई ।
है ये कथा सब विधि सुखदाई ।।

इस गंगा के दोनों तीर,
एक सिता दूजे रघुवीर ।
उच्च हिमालय दसरथ भूप,
कौसल्या गंगोत्री रूप ।।

राम लखन अरु भरत शत्रुघ्न,
चार दिशा में चक्रवर्ती सम ।
चर्चित चारो भाई,
राम कथा सब विधि सुखदाई ।।

पतित उदहारण परम पवित्र,
दीनबंधु मित्रों के मित्र ।
रघुबर सर्व गुणों की खान,
पुरुषोत्तम सक्षम भगवान ।।

तीन लोक में एक न ऐसा,
सहज स्वामी सब में व्यापक ।
श्रीयुत श्री रघुराई,
राम कथा सब विधि सुखदाई,
राम कथा सब विधि सुखदाई ।।

नारद सारद शेष महेश,
कहत थके आवे नहीं शेष ।
धर्म मूर्ति आदर्श स्वरूप,
सीतापति त्रिभुवन के भूप ।।

राम प्रभु की महिमा ऐसी,
कही न सके श्री राम स्वयं भी ।
निज गुण नाम बढाई,
राम कथा सब विधि सुखदाई ।।

रामायण के बीज को,
कर प्रभु चरित बखान ।
देवऋषि नारद चतुर,
हो गए अंतर्ध्यान ।।

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