भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है

  • Bhav Nahi To Kuch Bhi Nahi

भाव के भूखे हैं भगवान ।
भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है ।।
लाख करो गुणगान….

एक थी शबरी भक्तन,
न्योछावर करके तनमन ।
मतंग मुनि के संग में,
करती थी प्रभु का कीर्तन ।।

बागो से चुन चुन लाती,
प्रभु को फुल चढ़ाती ।
गंगा के पावन जल से,
रोज स्नान कराती ।।

चरण धोके श्री राम का करती,
चरनामृत का पान ।
भाव के भूखे हैं भगवान,
भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है ।।

मतंग शबरी को बताये,
बहु भांति समझाए ।
सबर कर कुछ दिन शबरी,
मिलन के दिन अब आये ।।

रामजी तुमसे मिलेंगे,
मेरी कुटिया में आ कर ।
शबरी को धैर्य बंधाकर,
समाधी लिए गुरुवर ।।

राम नाम में लीन हो गयी,
गुरु से पाकर ज्ञान ।
भाव के भूखे हैं भगवान,
भाव नहीं तो कुछ भी नहीं है ।।

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