राम सुमिर मन बन अनुरागी
राम सुमिर मन बन अनुरागी,
हर पल ध्यान लगा रे ।
राम सुमिर मन बन अनुरागी,
हर पल ध्यान लगा रे ।।
मृग जल है इस जग की माया,
जाने रहे तू क्यो भरमाया ।
मृग जल है इस जग की माया,
जाने रहे तू क्यो भरमाया ।
झूठे बंधन सारे,
राम सुमिर मन बन अनुरागी ।
हर पल ध्यान लगा रे,
हर पल ध्यान लगा रे ।।
खोजत फिरत रहा जीवन भर,
अंदर है उसे ढूँढत बाहर ।
खोजत फिरत रहा जीवन भर,
अंदर है उसे ढूँढत बाहर ।।
वो ही सबको तारे,
राम सुमिर मन बन अनुरागी ।
हर पल ध्यान लगा रे,
हर पल ध्यान लगा रे ।।
मार्ग साचा राम दिखावे,
विपत पड़े तब वो ही छुडावे ।
राम के ही गुण गा रे,
राम सुमिर मन बन अनुरागी ।।
हर पल ध्यान लगा रे,
राम सुमिर मन बन अनुरागी ।
हर पल ध्यान लगा रे,
हर पल ध्यान लगा रे ।।
