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प्रभु के सामने सर को झुकाओ काफी है

  • Prabhu Ke Samne Sar Ko Jhukao Kafi Hai

प्रभु के सामने सर को झुकाओ काफी है ।
धूप चंदन न सही मन में भाव काफी है ।।

नाना व्यंजन से नही रीझते हैं गिरधारी ।
उन्हें तो प्रेम का चावल ही आधा काफी है ।।

भाव के भूखे हैं और कोई उन्हें क्या देगा ।
मन मेँ हो प्रेम तो छिलको का भोग काफी है ।।

लाख उनको बुलाओ वो कभी न आएंगे ।
पूर्ण श्रद्धा से सिर्फ आधा नाम काफी है ।।

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