जिसके सिर ऊपर तू स्वामी
जिसके सिर ऊपर तू स्वामी
सो दुख कैसा पावे
जिसके सिर ऊपर तू स्वामी
सो दुख कैसा पावे
बोल न जाने माया मदमाता
बोल न जाने माया मदमाता
मरना चित्त न आवे
मरना चित्त न आवे
जिसके सिर ऊपर तू स्वामी
सो दुख कैसा पावे
सो दुख कैसा पावे
मेरे राम राये तू सांता का
मेरे राम राये तू सांता का
तेरे सेवक को भओ किछ नाही
जम्म नहीं आवे नेड़े
जम्म नहीं आवे नेड़े
जो तेरे रंग राते स्वामी
तिन का जनम-मरण दुख नासा
तेरी बख्श न मेटे कोई
तेरी बख्श न मेटे कोई
सतगुर का दिलासा
नाम ध्यायन सुख फल पायें
आठ पहर आराधे
तेरी शरण तेरे परवासे
पंच दुष्ट ले साढे
पंच दुष्ट ले साढे
ज्ञान ध्यान किछ कर्म न जाना
सार न जाना तेरी
सब ते वड्डा सतगुर नानक
जिन कल राखी मेरी
जिसके सिर ऊपर तू स्वामी
सो दुख कैसा पावे
बोल न जाने माया मदमाता
बोल न जाने माया मदमाता
मरना चित्त न आवे
मरना चित्त न आवे
मरना चित्त न आवे.
