हे संकट मोचन करते है वंदन
हे संकट मोचन करते है वंदन,
तुमरे बिना संकट कौन हरे ।
सालासर वाले तुम हो रखवाले,
तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ।।
सिवा तेरे न दूजा हमारा,
तू ही आ कर के देता सहारा ।
जो भी बिपदा आये पल में मिट जाये,
तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ।।
तूने रघु वर के दुखड़ो को ताला,
हर मसुबत से उनको निकाला ।
रघुवर के प्यारे आँखों के तारे,
तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ।।
अपने भगतो के दुखड़े मिटाते,
हर्ष आफत से हम को बचा ते ।
किरपा यु रखना थामे तू रखना,
तुम्हरे बिना संकट कौन हरे ।।
