क्षमा करो प्रभु जी

  • Kshama Karo Prabhu Ji

क्षमा करो तुम मेरे प्रभु जी, अबतक के सारे अपराध-०२
धो डालो तन की चादर को, लगे हैं उसमे जो भी दाग,
क्षमा करो तुम मेरे प्रभु जी, अबतक के सारे अपराध,
धो डालो तन की चादर को, लगे हैं उसमे जो भी दाग,
क्षमा करो।

तुम तो प्रभु जी मानसरोवर, अमृत जल से भरे हुए,
पारस तुम हो इक लोहा मैं, कंचन होवे जोई छुए,
तज के जग की सारी माया, तुमसे करलूं मैं अनुराग,
धो डालो तन की चादर को, लगे हैं उसमे जो भी दाग,
क्षमा करो।

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काम क्रोध में फंसा रहा मन, सच्ची डगर नहीं जानी,
लोभ मोह मद में रखकर प्रभु, कर डाली मनमानी,
मनमानी में दिशा गलत ले, पहुंचा वहां जहां है आग,
धो डालो तन की चादर को, लगे हैं उसमे जो भी दाग,
क्षमा करो।

इस सुन्दर तन की रचना कर, तुमने जो उपकार किया,
इस सुन्दर तन की रचना कर,
इस सुन्दर तन की रचना कर, तुमने जो उपकार किया,
हमने उस सुन्दर तन पर प्रभु, अपराधों का भार दिया,
नारायण अब शरण तुम्हारे, तुमसे प्रीत होये निज राग,
क्षमा करो तुम मेरे प्रभु जी, अबतक के सारे अपराध,
धो डालो तन की चादर को, लगे हैं उसमे जो भी दाग,
क्षमा करो, क्षमा करो, क्षमा करो, क्षमा करो।


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