हे विष्णु विधाता परम उपकारी
ॐ वासुदेवाय नमो नमः
ॐ वासुदेवाय नमो नमः
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
परमपिता प्रभु,
दीनानाथ मेरे ।
मुक्ति प्रदायक,
अमित अविकारी ।।
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
वेद और पुराणों का,
सार तुम्ही हो ।
पूजा पाठ तप,
आधार तुम्ही हो ।।
वेद और पुराणों का,
सार तुम्ही हो ।
पूजा पाठ तप,
आधार तुम्ही हो ।।
तुम्हारे बिना नहीं,
चले जग सारा ।
महिमा अनंत प्रभु की,
है अति प्यारी ।।
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
नारद ऋषि मुनि,
गाते हैं गाथा ।
हर एक प्राणी,
तेरा नाम है ध्याता ।।
नारद ऋषि मुनि,
गाते हैं गाथा ।
हर एक प्राणी,
तेरा नाम है ध्याता ।।
ब्रह्मा महेश जपे,
नाम की माला ।
सुमिरन तुम्हारा है,
अति गुणकारी ।।
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
दयालु दयामय,
बैकुंठ वासी ।
नील वरन छवि,
अमर अविनाशी ।।
हो दयालु दयामय
बैकुंठ वासी ।
नील वरन छवि,
अमर अविनाशी ।।
रमापति नारायण,
गरुड़ है वाहन ।
ज्ञान सरोवर हे,
जगत बिहारी ।।
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
त्रिकाल ज्ञाता,
त्रिलोक के स्वामी ।
अनुपम स्वरूपा,
अनहद नामी ।।
त्रिकाल ज्ञाता,
त्रिलोक के स्वामी ।
अनुपम स्वरूपा,
अनहद नामी ।।
शुभ वर दानी,
अद्भुत ज्ञानी ।
हर युग में विपदा,
तुमने ही तारी ।।
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
भक्तों ने जब-जब,
तुमको पुकारा ।
अवतार लेकर,
दुनिया को तारा ।।
हो भक्तों ने जब-जब,
तुमको पुकारा ।
अवतार लेकर,
दुनिया को तारा ।।
कभी राम बनकर,
कभी श्याम बनकर ।
जगदीश मेरे हैं,
दस अवतारी ।।
हे विष्णु विधाता,
परम उपकारी ।
नमो श्री नारायण,
पदमचक्रधारी ।।
