मिनख जमारो मिल्यो जग माही

  • minakh jmaaro milyo jag maahi

मिनख जमारो मिल्यो जग मांही,ओर भळे कांई चावे तूं,
लख चोरासी भटकत-भटकत,जूण अनेको भुगत्यो तूं,

मानव तन अनमोल रतन धन,विरथा मत ना खोवे तूं,
रचना रची हरि अजब निराली,भेद कोई नही पायो ते,

कर सत संग सफल कर जीवन,अवसर बीत्यो जावे यूं,
पल-पल छिन-छिन आयु जावे,मोत नेङे री आवे यूं

संचित कर्म पुरबला रे कारण,मानव देह धर आयो तूं
सदानन्द थाने भरी सभा में,बार-बार समझावे यूं

मिलते-जुलते भजन...