श्री कुबेर जी है भंडार भरतें

  • Shree Kuber Ji Hai Bhandar Bhartein

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये,
समृद्धिं मे देहिं दापय दापय स्वाहा॥

श्री कुबेर जी की, जय हो
श्री कुबेर जी की, जय हो

श्री कुबेर जी है भंडार भरतें, जय हो
श्री कुबेर जी है भंडार भरतें, ध्यान ह्रदय में जो इनका धरतें-०२
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संग लक्ष्मी जी है आज्ञाकारी, पूजती है ये संग दुनिया सारी,
जय हो लक्ष्मी मैया की, जय
संग लक्ष्मी जी है आज्ञाकारी, पूजती है ये संग दुनिया सारी,
भाव से भरती, हो भाव से भरती,
बोलिये लक्ष्मी मैया की, जय हो
भाव से भरती भक्ति का गागर, आप गागर में सागर को भरतें,
श्री कुबेर जी है भंडार भरतें, ध्यान ह्रदय में जो इनका धरतें-०२

धन कुबेर जी है शिव जी के प्यारे, भक्त विभीषण है भ्राता तुम्हारे,
जय हो कुबेरजी महाराज की, जय
विषवाला ले इडविडा के प्यारे, कावेरी के नाथ शिव के दुलारे,
अलकापुरी में, हो अलकापुरी में,
जय हो कुबेर जी महाराज की, जय
अलकापुरी में निवास है तुम्हरा, यक्ष गन्धर्वो पे कृपा करतें,
श्री कुबेर जी है भंडार भरतें, ध्यान ह्रदय में जो इनका धरतें-०२

दूजा देव नहीं धन के प्रदाता, पहले ही नाम तुम्हारा है आता,
जय हो कुबेरजी महाराज की, जय
जो है श्रद्धा से शीश झुकाता बिन मांगे उसे सब मिल जाता,
हाथ कृपा का, हो हाथ कृपा का, रख दो बाबा — जय
हाथ कृपा का धर दो मेरे सर , आन पड़ा हूँ मैं तेरे दर पे,
श्री कुबेर जी है भंडार भरतें, ध्यान ह्रदय में जो इनका धरतें-०२

कृपा पात्र को मिलते है मोती, जाग जाती है किस्मत जो सोती-०२
जय हो जय हो जय, जय हो जय हो जय
जय हो कुबेर महाराज की, जय
जय हो जय हो कुबेर जी तुम्हारी, अन धन और खुशियों को भर दें ,
श्री कुबेर जी है भंडार भरतें, ध्यान ह्रदय में जो इनका धरतें-०२

स्वर्ण शृंगासन पे आप विराजे, मणि मुकट है शीश पे साजे,
द्वार तेरे है नौ वक़्त बाजें धन के खोलो सभी दरवाजें,
देवेंद्र रवि कान्त, देवेंद्र रवि कान्त,
जय हो कुबेर जी महाराज की, जय
देवेंद्र रवि कान्त के घर में बाबा, धनतेरस को धन भर देते,
श्री कुबेर जी है भंडार भरतें, ध्यान ह्रदय में जो इनका धरतें-०२


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